गारे पेलमा सेक्टर-1 की जनसुनवाई पर भारी विरोध, ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी का एलान किया
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रायगढ़, छत्तीसगढ़
By ACGN 7647981711, 9303948009
8 दिसंबर की जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने कंपनी व प्रशासन पर पक्षपात और प्रक्रियाओं को दबाकर आगे बढ़ाने का आरोप लगाया 14 ग्रामों के संयुक्त विरोध व सड़कों पर ग्रामीणों की लामबंदी ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया
गारे पेलमा (तमनार, रायगढ़)। गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक की पर्यावरणीय अनुमतियों और स्थापना को लेकर मची नाराज़गी अब बड़े आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। 8 दिसंबर 2025 को प्रस्तावित जनसुनवाई के लिए हाई-स्कूल मैदान में एकत्र हुए हजारों ग्रामीणों ने आयोजित कार्यक्रम में कंपनी प्रतिनिधियों और प्रशासन के रवैये पर तीखा विरोध जताया और कहा कि उनकी आपत्तियों को अनसुना कर जनभावना दबाने का प्रयास किया गया। यह विरोध और घेराबंदी 14 प्रभावित ग्रामों की ओर से तय की गई रणनीति का हिस्सा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जनसुनवाई में स्थानीय आवाज़ दबाई गई, पुलिस के बीच कंपनी और ठेकेदारों को अधिक प्राथमिकता दी गई और वास्तविक प्रभावित लोगों को मौके पर खुलकर बोलने से रोका गया। इस घटनाक्रम के बाद 14 ग्रामों के सरपंच, उपसरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों ने एसडीएम, तहसीलदार व थाना प्रभारियों को संयुक्त पत्र भेजकर कठोर कार्रवाई की मांग की और कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो 12 दिसंबर 2025 से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी जाएगी।
गारे-पेलमा (Sector-1) परियोजना के पृष्ठभूमि और संवेदनशीलता पर कई रिपोर्टें पहले भी चिंताएँ जता चुकी हैं। यह कोयला ब्लॉक तमनार तहसील के 14 ग्रामों को प्रभावित करने वाला बताया जाता है और परियोजना का परिमाण व सीमांकन केंद्रीय पर्यावरण आकलन के दस्तावेज़ों में दर्ज है। स्थानीय लोगों का तर्क है कि जमीन, जल, जंगल और आजीविका पर इससे असाध्य और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेंगे—इसी भय ने जनआंदोलन को मजबूती दी है।
कई मीडिया और सामाजिक मंचों पर घटनास्थल की तस्वीरें व वीडियो शेयर हुए हैं जिनमें ग्रामीणों की भारी उपस्थिति और सख्त विरोध दिखा। पिछले महीनों में भी गारे-पेलमा के आसपास पेड़ कटाई, सुरक्षा तैनाती व विरोध के अन्य मामलों को लेकर अलग-अलग घटनाएँ दर्ज रही हैं, इसलिए यह क्षेत्र पहले से संवेदनशील माना जाता रहा है। प्रशासन ने फिलहाल सार्वजनिक बयानों में शांति बनाए रखने व कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार आगे बढ़ने का आश्वासन दिया है, जबकि प्रभावित ग्रामीण और सामाजिक संगठन अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
स्थिति अभी तरल है—ग्रामीणों द्वारा घोषित नाकेबंदी और बड़े पैमाने पर एकजुटता यह संकेत देती है कि अगले दिनों में केंद्रित आंदोलन और धरना-प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं। हमने इस रिपोर्ट में उपलब्ध प्राथमिक सूचनाओं और स्थानीय रिपोर्टों का संदर्भ दिया है; यदि आप चाहें तो मैं संबंधित सरकारी नोटिस, जनसुनवाई की तारीख-समाचार या प्रभावित ग्रामों की पूरी सूची सहित विस्तार से पुष्ट स्रोतों की एक सूची तैयार कर दे सकता/सकती हूँ।
प्रदीप मिश्रा
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