नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 7647981711 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , वरिष्ठ IAS की ज़ुबान फिसली, समाज में आग – सरकार का नोटिस, – Anjor Chhattisgarh News

Anjor Chhattisgarh News

सच की तह तक

वरिष्ठ IAS की ज़ुबान फिसली, समाज में आग – सरकार का नोटिस,

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

भोपाल मध्यप्रदेश

By ACGN 7647981711, 9303948009

IAS संतोष वर्मा के विवादित बयान पर सियासी-सामाजिक भूचाल, ब्राह्मण समाज और महिला संगठनों का फटकर विरोध, सरकार ने दिखाई लाठी, नोटिस जारी, कड़ी कार्रवाई के संकेत

भोपाल / — मध्य प्रदेश में एक वरिष्ठ IAS अधिकारी के चंद शब्दों ने ऐसा तूफ़ान खड़ा कर दिया है, जिसने सामाजिक सम्मान, जातीय अस्मिता और सरकारी अनुशासन  तीनों की नींव हिला दी है। AJAKS के प्रदेश अध्यक्ष और अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी संतोष कुमार वर्मा ने एक सार्वजनिक मंच पर आरक्षण को लेकर जो टिप्पणी की, वह समाज की नसों पर वार बनकर सामने आई।
23 नवंबर को भोपाल में अधिवेशन के दौरान दिए गए उनके बयान का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे कहते सुने गए
“आरक्षण तब तक जारी रहे, जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरी जाति के बेटे को दान न दे दे!”

यह वाक्य सिर्फ शब्द नहीं था, यह एक समुदाय की बेटी के सम्मान पर चोट थी, महिलाओं के अस्तित्व को सौदे की वस्तु मानने की मानसिकता का खुला प्रदर्शन था और जातीय शत्रुता भड़काने का आरोप झेल रहा है।

राज्य में भड़का जनाक्रोश सड़कें बनी विरोध का मंच

जैसे ही यह वीडियो फैला विरोध की लपटें भी हर दिशा में फैल गईं।
ब्राह्मण समाज, महिला अधिकार मंचों और सामान्य वर्ग कर्मचारी संगठनों ने इसे कहा,घोर अपमानजनक,मनोवैज्ञानिक हिंसा सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास, अन्याय का प्रतिकार सड़कों पर उतरा। कई जिलों में पुतले जलाए गए। विरोध जताते हुए दावे किए गए

“एक अधिकारी अगर बेटी को व्यापार की वस्तु समझे, तो फिर प्रशासन महिलाओं की सुरक्षा का नैतिक अधिकार कैसे रखता है?”

वर्मा की सफाई — “मेरे शब्द तोड़े गए…”

उनके इस बयान पर आक्रोश थमा नहीं तब वर्मा सामने आए, सफाई दी  उन्होंने कहा पूरा भाषण 27 मिनट का था, महज़ 9-10 सेकंड को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया,उनका उद्देश्य समानता पर चर्चा था, और यदि किसी की भावना आहत हुई तो वे क्षमा चाहते हैं

लेकिन सवाल और तेज़ हो उठा , यदि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की ज़बान इतनी फिसल सकती है  तो इरादों पर भरोसा कैसे किया जाए?

सरकार का रुख सख्त, “अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं”

इस घटनाक्रम ने सरकार (वर्तमान शासन) के कान खड़े कर दिए। सामान्य प्रशासन विभाग तुरंत हरकत में आया, और जारी किया कारण बताओ नोटिस।

नोटिस में की गईं कठोर टिप्पणियाँ

आप सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने के दोषी प्रतीत होते हैं पद की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल आचरण
महिला और समुदाय-विशेष के सम्मान का उल्लंघन
क्या यह सेवा-आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं?


स्पष्ट चेतावनी , 7 दिन में जवाब नहीं, तो कार्रवाई तय — निलंबन तक सम्भव।

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में “प्रशासन का वर्दीशुदा अभिमान नहीं चलेगा, मर्यादा से बड़ा कोई नहीं।”

कहानी एक बयान से आगे — समाज की दरारों का आईना

यह प्रकरण एक बार फिर उभारता है भारतीय समाज की कई तीखी सच्चाइयाँ
जाति आज भी राजनीति और व्यवस्था का बारूद है
महिला अब भी बहस की वस्तु बना दी जाती है
सत्ता के आसन पर बैठे लोग स्वयं संवेदनशीलता भूल जाते हैं
और जब गलती होती है तो “संदर्भ” का सहारा लिया जाता है
पर इस बार जनता खामोश नहीं है  कानूनी जवाब चाहती है।

अगले 7 दिन तय करेंगे एक अधिकारी का करियर, और समाज का आत्मसम्मान
क्या सरकार उदाहरण पेश करेगी?
क्या वर्मा पर FIR की मांग पूरी होगी?
क्या यह मामला अदालत की चौखट पर पहुँचेगा?
या सब राजनीतिक धुआँ बनकर छंट जाएगा?

एक बात अब साफ है मंच पर कहे गए शब्द सस्ती तालियों के लिए नहीं होते। वे समाज की आत्मा को भी जख्म देते हैं और सत्ता इस बार यह जख्म अनदेखा करने के मूड में नहीं दिख रही।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now