सड़क पर ज़िंदगी: ड्राइवरों की मेहनत, संघर्ष और समाज की जिम्मेदारी
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संपादकीय
अंजोर छत्तीसगढ़ न्यूज़ का साप्ताहिक विशेषांक
हर हफ़्ते जनता की आवाज़ – सच्चाई का आईना, बदलाव का हथियार
By ACGN 7647981711, 9303948009
✍️ कलम की धार ✍️
“अंजोर छत्तीसगढ़ न्यूज़” हमेशा जनता की पीड़ा और सच्चाई का दर्पण रहा है। हम दिखाते हैं सच का आईना अछूते वे चित्र जिन्हें सत्ता और राजनीति का शोर अक्सर छुपा देता है। हमारी कलम लिखती है निष्पक्ष, निर्भीक और सच्ची खबरें, जो केवल सतही नहीं बल्कि सच की तह तक पहुँचती हैं। यही हमारी पहचान है और यही पत्रकारिता का धर्म।
जनता की पीड़ा, शासन तक सीधा संदेश हमारा संकल्प है कि जनहित के मुद्दे और जन सरोकारों की पीड़ा को अनसुना न होने दें। गांव की चौपाल से लेकर शहर की गलियों तक, आम जनता की समस्याओं को उठाकर शासन-प्रशासन तक पहुंचाना ही हमारी पत्रकारिता का उद्देश्य है।
आज का विषय :भारी वाहन चालकों की अनकही मेहनत और समाज में उनका महत्व
“सपनों और जिम्मेदारियों के पहिए: सड़क के अदृश्य नायक ट्रक और बस चालक”
“रात की तन्हाई, दिन का संघर्ष और समाज की निर्भरता, जानिए उन लोगों की कहानी जो हमारे रोजमर्रा को संभव बनाते हैं।”
रात का अंधेरा, सुनसान सड़क और हवा में धूल की हल्की परत। दूर क्षितिज पर हेडलाइट चमक रही है। यह केवल प्रकाश का साधन नहीं है, बल्कि ट्रक चालक की जागती आँखों, सतर्कता और लगातार मेहनत की निशानी है। वही व्यक्ति जो लाखों टन सामान एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाता है, ताकि सुबह उठते ही दूध, सब्ज़ियां, राशन और ईंधन हमारे लिए उपलब्ध हों। यही लोग हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी के अदृश्य नायक हैं, जिनकी मेहनत और जोखिम पर समाज का अस्तित्व चलता है।

बड़े वाहन चालकों की ज़िंदगी पहियों पर चलती है, पर इसके पीछे जो संघर्ष छिपा है, उसे शायद ही कोई समझता है। वे महीनों घर से दूर रहते हैं, परिवार और बच्चों की याद को दिल में दबाए, धूप, बारिश, ठंड और रात के अंधेरे में सड़क पर गाड़ी संभालते हैं। नींद की कमी, असंतुलित खानपान और लगातार मानसिक तनाव उनके जीवन का हिस्सा हैं।

बड़े वाहन चलाते समय उन्हें सड़क की जटिल परिस्थितियों, ट्रैफिक, छोटे वाहनों द्वारा ओवरटेकिंग और अचानक आने वाले खतरों का सामना करना पड़ता है। चढ़ाई या घाटी में छोटे वाहनों के ओवरटेक के कारण कभी-कभी उन्हें अपनी और दूसरों की जान खतरे में डालकर वाहन नियंत्रित करना पड़ता है। कई बार छोटी-मोटी गलतियों के लिए आम जनता उनसे अभद्र व्यवहार करती है। धक्का, honking, गुस्से में टिप्पणी और अनुचित रवैया उनके लिए दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाता है। इस उपेक्षा और हीन दृष्टि के बावजूद चालक अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटते।

उनका संघर्ष केवल शारीरिक नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी है। समय पर डिलीवरी का दबाव, यातायात नियमों का पालन, दुर्घटना या लूट का खतरा हमेशा उनके सिर पर मंडराता रहता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से उनका जीवन बेहद चुनौतीपूर्ण है। लगातार ड्राइविंग से कमर दर्द, आंखों में थकान, नींद की कमी, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी समस्याएं आम हैं। लंबे सफर में सही भोजन न मिलना और सड़क किनारे पर्याप्त विश्राम स्थल का अभाव उनके लिए लगातार तनाव पैदा करता है।
सरकार ने ड्राइवरों के कल्याण के लिए कुछ योजनाएं शुरू की हैं, जैसे ड्राइवर विश्राम केंद्र, सड़क सुरक्षा अभियान और बीमा योजनाएं। लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका लाभ सीमित है। कई इलाकों में साफ़-सुथरे शौचालय, सुरक्षित विश्राम स्थल और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसी कारण चालक मानसिक और शारीरिक थकावट के साथ हर दिन जोखिम उठाते हैं।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि समाज इन्हें केवल वाहन चलाने वाला कर्मचारी मानता है। उनके बिना ज़िंदगी की रोजमर्रा की व्यवस्था ठप हो जाएगी, फिर भी उन्हें उपेक्षा, ताने और असम्मान का सामना करना पड़ता है। सड़क पर गुस्से में honking, ट्रैफिक में धक्का, गलत तरीके से ओवरटेक करना ये उनके दैनिक अनुभव हैं। बावजूद इसके वे धैर्य और प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्तव्य को निभाते हैं।
इसमें शासन की भी जिम्मेदारी है कि चालक की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान सुनिश्चित करे। सड़क किनारे सुरक्षित विश्राम केंद्र, साफ़-सुथरे शौचालय, पर्याप्त खाने-पीने की सुविधा, स्वास्थ्य जांच केंद्र और बीमा योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन उनके जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बना सकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और GPS आधारित ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए वाहन संचालन को सुरक्षित बनाना, दुर्घटना और चोरी से बचाव के उपाय करना भी शासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही आम जनता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सड़क पर गुस्से में प्रतिक्रिया देने, छोटे वाहन से ओवरटेक करने या चालक के प्रति ताने और अभद्र व्यवहार से बचना चाहिए। यदि ट्रक या भारी वाहन धीमे चल रहे हैं तो धैर्य और समझदारी दिखानी चाहिए। परिवार और बच्चों में चालक के योगदान के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ाना भी ज़रूरी है। उन्हें केवल वाहन चलाने वाला कर्मचारी नहीं, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा के रूप में देखना चाहिए।
ड्राइवरों का योगदान केवल माल परिवहन तक सीमित नहीं है। बस चालक रोज़ाना हज़ारों लोगों को सुरक्षित मंज़िल तक पहुंचाते हैं। ट्रक चालक देश की सप्लाई चेन की रीढ़ हैं। उनका संघर्ष समाज के हर वर्ग के लिए जीवनरेखा है। इसलिए ज़रूरत है कि न केवल प्रशासनिक सुधार हों, बल्कि आम जनता भी इन लोगों के प्रति सम्मान, सहानुभूति और सहयोग दिखाए। उनके बिना हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी असंभव है।
ड्राइवर केवल वाहन नहीं चलाते, वे हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी, सपने और जिम्मेदारियां ढोते हैं। उनका सम्मान और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, तभी हम समाज और कानून के मूल्यों को सही मायनों में समझ पाएंगे।
ड्राइवर की दिनचर्या: घर से निकलना, लंबी दूरी, भोजन, वाहन संचालन, रात की ड्राइव।
जोखिम कारक: सड़क दुर्घटना, थकावट, छोटे वाहनों द्वारा ओवरटेक, मौसम और सड़क की स्थिति।
स्वास्थ्य प्रभाव: नींद की कमी, कमर दर्द, आंखों की थकान, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप।
सामाजिक योगदान: माल परिवहन, यात्रियों की सुरक्षा, सप्लाई चेन का समर्थन।
शासन और जनता की भूमिका: सुरक्षित विश्राम स्थल, स्वास्थ्य सुविधा, सड़क नियमों का पालन, सम्मान और जागरूकता।
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