खम्हरिया गांव के किसानों की बेदखली पर रोक की मांग, माकपा ने किया जोरदार प्रदर्शन
😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
कोरबा छत्तीसगढ़
By Pradeep Mishra 7647981711
कोरबा, 21 अक्टूबर 2024 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने खम्हरिया गांव के किसानों की जबरन बेदखली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। माकपा ने आरोप लगाया है कि एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा भूमि अधिग्रहण के प्रावधानों और 1983 में पारित अवार्ड का उल्लंघन किया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर प्रभावित ग्रामीणों ने माकपा के नेतृत्व में 15 किलोमीटर की पदयात्रा कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
40 वर्षों बाद भी मुआवजा और रोजगार अधूरा
एसईसीएल ने 1983 में कोयला खनन के लिए खम्हरिया गांव की भूमि का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के समय प्रभावित ग्रामीणों से मुआवजा और रोजगार देने का वादा किया गया था। साथ ही, यह भी कहा गया था कि 20 वर्षों के बाद अगर भूमि का उपयोग न हो, तो उसे मूल खातेदारों को वापस कर दिया जाएगा। लेकिन 40 वर्षों बाद भी न तो मुआवजा और रोजगार का वादा पूरा किया गया और न ही भूमि लौटाई गई।
अब, एसईसीएल जिला प्रशासन की मदद से किसानों को उनकी ही जमीन से बेदखल करने की कार्रवाई कर रहा है। माकपा ने इसे अवैध और अमानवीय करार दिया है।
एसईसीएल की इस कार्रवाई के विरोध में आज बड़ी संख्या में खम्हरिया के प्रभावित किसानों ने माकपा के नेतृत्व में 15 किलोमीटर की पदयात्रा की। जुलूस निकालते हुए उन्होंने कोरबा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
प्रमुख मांगें:
1. किसानों की बेदखली पर तुरंत रोक लगाई जाए।
2. 1983 में किए गए वादों के अनुसार मुआवजा और रोजगार दिया जाए।
3. भूमि अधिग्रहण के प्रावधानों और अवार्ड की शर्तों का पालन किया जाए।
कलेक्टर ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए त्रिपक्षीय वार्ता (ग्रामीण, प्रशासन और एसईसीएल के बीच) आयोजित की जाएगी।
माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने एसईसीएल और प्रशासन की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “गैर-कानूनी और अमानवीय” करार दिया। उन्होंने कहा, “एक गांव को उजाड़कर दूसरे लोगों को पुनर्वास देना हास्यास्पद और क्रूर है। इस प्रक्रिया में एसईसीएल मदारी और जिला प्रशासन जोकर की भूमिका निभा रहा है।”
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से इस बेदखली अभियान पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की। माकपा नेताओं ने बताया कि ग्रामीणों की भूमि अधिग्रहण की शर्तें पूरी न होने के कारण यह अधिग्रहण अवैध है। प्रभावितों का कहना है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
इस पदयात्रा में प्रशांत झा, सुमेंद्र सिंह कंवर, गीता गभेल, राजू यादव, रेशम और राजेश जैसे प्रमुख माकपा नेता और किसान सभा के कार्यकर्ता शामिल थे।
माकपा ने घोषणा की है कि वह खम्हरिया गांव के किसानों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कानूनी और जनांदोलनात्मक उपाय करेगी। पार्टी ने एसईसीएल और प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए व्यापक अभियान चलाने की तैयारी कर ली है।
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space