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QUAD समिट में चीन को लेकर चुपके से क्या कहा बाइडन ने जो सुर्खियों में आ गया ?

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By Pradeep Mishra 7647981711


वाशिंगटन. अमेरिका में भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रधान मंत्रियो की बैठक जिसे QUAD समिट अमेरिका के आयोजित  QUAD समिट मे शामिल होने  अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रधान मंत्री अमेरिका पहुचे, जिसमे शामिल होने प्रधानमंत्री मोदी भी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर है

क्या हैक्वाड [QUAD]?

क्वाड चार देशों का एक समूह है, इसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान शामिल हैं. क्वाड चार देशों का एक अनौपचारिक मंच हैं जहां मिलकर रणनीतिक सुरक्षा संवाद होता है. इसकी स्थापना 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने की थी. आर्थिक और सैन्य रूप से चीन की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के QUAD की स्थापना की गई थी

जो बाइडन के होम टाउन विलमिंगटन में हुई क्वाड लीडर्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया. इस समिट में जो बाइडन ने क्वाड नेताओं से कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि शी जिनपिंग घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चीन में अशांति को कम करना चाहते हैं.’

इस क्वाड समिट में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की गुस्ताखियों से निपटने में भारत का लोहा माना. हालांकि इसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति चीन को लेकर कुछ कह रहे थे, जो सुर्खियों में आ गया. बाइडन यहां बेहद धीमी आवाज में चीन के रवैये के प्रति अपनी नाराजगी जता रहे थे, लेकिन उनकी वह बात माइक में पकड़ी गई और सबने उसे सुन लिया.

जो बाइडन ने चीन को लेकर क्या कहा

वहीं जब शिखर सम्मेलन खत्म हो गया और पत्रकार वहां से निकल रहे थे, तब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन चीन को लेकर यहां बेहद धीमी आवाज में आपस में कुछ बात कर रहे थे, लेकिन वहां लगी हॉट माइक पर बाइडन की पूरी बात पकड़ी गई. इसमें वह कहते सुने गए कि चीन उनका इम्तेहा ले रहा है.

बाइडन को यह कहते हुए सुना गया कि ‘मेरे विचार से, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन के हितों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए अपने लिए कुछ कूटनीतिक स्थान खरीदना चाहते हैं.’ बाइडन ने कहा कि चीन ‘आर्थिक और टेक्नोलॉजी सहित कई मोर्चों पर पूरे क्षेत्र में हम सभी का इम्तेहान लेते हुए अपना आक्रामक व्यवहार जारी रखे हुए है’.

हालांकि बाद में अमेरिका के एक सीनियर प्रशासनिक अधिकारी ने इस गलती को कमतर आंकने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मेरे पास इस पर विस्तार से बताने के लिए बहुत कुछ है. यह पहले जो कहा गया है, उसी लाइन पर है… और मुझे नहीं लगता कि यह बहुत आश्चर्य की बात होगी कि हमारे मन की बात हमारी जुबान से मेल खाती है.’

बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में उग्र रूप से विवादित क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है. यह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपने हक का दावा करता है, जिसे लेकर वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान जैसे देशों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं.

वहीं भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह क्वाड या एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने की वकालत करती है. हालांकि चीन का दावा है कि समूह का मकसद इसके उदय को रोकना है.

 

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