छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव: लोकतंत्र के मजबूती की कुंजी: “नोट पर बिकते वोट” की समस्या और विकास का सवाल,राजनीति में भ्रष्टाचार का निमंत्रण”
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अंजोर छत्तीसगढ़ न्यूज़ का साप्ताहिक विशेषांक “कलम की धार”
आज का अंक:- “नोट पर बिकते वोट: राजनीति में भ्रष्टाचार का निमंत्रण”
अंजोर छत्तीसगढ़ न्यूज़ के पाठकों की विशेष मांग पर प्रस्तुत है हमारा साप्ताहिक विशेषांक “कलम की धार”, जो समाज और संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहराई से विचार करता है। आज के अंक में हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जो लोकतंत्र की सशक्तता और समाज के भविष्य से जुड़ा है – “नोट पर बिकते वोट: राजनीति में भ्रष्टाचार का निमंत्रण”।
हमारा उद्देश्य इस विशेषांक के माध्यम से इस घातक प्रवृत्ति पर प्रकाश डालना है, जो न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती है, बल्कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। इस अंक में हम इस समस्या की जड़ तक पहुंचने की कोशिश करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों यह मुद्दा हमारे समाज और संस्कृति को प्रभावित कर रहा है।
अंजोर छत्तीसगढ़ न्यूज़ का यह मंच आपके विचारों और लेखन को नई उड़ान देने का प्रयास करता है। आइए, इस विशेषांक के साथ हम अपने सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों को सहेजने की दिशा में एक कदम और बढ़ाएं।
लेखक: प्रदीप मिश्रा
लोकतंत्र के मजबूती की कुंजी: “नोट पर बिकते वोट” की समस्या और चुनावी जागरूकता
12 जनवरी। छत्तीसगढ़ में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद अब स्थानीय नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों का समय नजदीक आ गया है। ये चुनाव क्षेत्रीय विकास और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का अवसर होते हैं। लेकिन नोट के बदले वोट जैसी प्रवृत्तियों ने इन चुनावों को प्रभावित कर दिया है।
क्या क्षेत्र का विकास प्राथमिकता है?
ग्राम पंचायतों में सरपंच और पंच तथा शहरी क्षेत्रों में वार्ड पार्षद, क्षेत्रीय विकास की पहली कड़ी माने जाते हैं। यह प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की समस्याओं को समझते हुए विकास की दिशा तय करते हैं। लेकिन जब जनता पैसे, वस्त्र, या अन्य प्रलोभनों के बदले अपना वोट देती है, तो वह न केवल अपने अधिकारों का गलत उपयोग करती है, बल्कि अपने क्षेत्र के विकास को भी बाधित करती है।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्ति
“नोट पर बिकते वोट” का सीधा अर्थ है कि मतदाता खुद ही भ्रष्टाचार को आमंत्रित कर रहे हैं। इससे नेताओं को यह संदेश मिलता है कि विकास और जवाबदेही से अधिक प्रभावशाली पैसे और प्रलोभन हैं। जब नेता मतदाताओं को खरीदकर सत्ता में आते हैं, तो वे जनता के प्रति जवाबदेही महसूस नहीं करते और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
पुराने नेताओं से पूछें जवाब
जनता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उन नेताओं से जवाब मांगें, जिन्होंने पिछले पांच सालों में क्षेत्र में विकास कार्यों को अंजाम नहीं दिया। ऐसे नेता जो चुनाव के समय जनता के पास आते हैं और झूठे वादों और प्रलोभनों के जरिए वोट लेने का प्रयास करते हैं, उन्हें चुनाव से बाहर रखना जरूरी है।
जनता की जिम्मेदारी: सही प्रतिनिधि चुनें
नगरीय निकाय चुनावों में जनता को यह समझने की आवश्यकता है कि उनका वोट क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करता है।
1. क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दें: उन उम्मीदवारों को चुनें, जिन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए काम किया हो।
2. प्रलोभनों से बचें: नोट, वस्त्र या अन्य प्रलोभनों के बजाय अपने मत का उपयोग सही और ईमानदार नेता को चुनने के लिए करें।
3. जागरूकता बढ़ाएं: अपने अधिकारों और वोट की ताकत को समझें। दूसरों को भी इस प्रवृत्ति के खिलाफ जागरूक करें।
कैसे रुकेगी “नोट पर बिकते वोट” की समस्या?
1. कानूनी सख्ती: चुनाव आयोग को ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
2. शिक्षा और प्रशिक्षण: पंचायत और निकाय स्तर पर चुनावी शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
3. सकारात्मक उदाहरण: ऐसे नेताओं की कहानियां साझा की जाएं, जिन्होंने बिना प्रलोभन के अपने क्षेत्र का विकास किया।
छत्तीसगढ़ में आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव केवल प्रतिनिधियों का चयन नहीं, बल्कि क्षेत्र और देश के भविष्य को तय करने का मौका हैं। जनता को चाहिए कि वह उन नेताओं को अपने मताधिकार से दूर रखे, जो पिछले पांच सालों में क्षेत्र के विकास से दूर रहे और अब केवल चुनावी वादों और प्रलोभनों के साथ सामने आए हैं।
“नोट पर बिकते वोट” लोकतंत्र और क्षेत्रीय विकास के लिए एक गंभीर खतरा हैं। इसे रोकना हर मतदाता की जिम्मेदारी है। ईमानदारी और समझदारी के साथ सही उम्मीदवार का चुनाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विकास को सुनिश्चित करेगा। जातिवाद के अनुसार होने वाला मतदान अपनी जाति और समुदाय को बढ़ावा देना गलत नहीं परंतु सिर्फ जातिवाद के नाम पर अपने अच्छे नेता को छोड़ देना गलत है।
मतदान आपका अधिकार है, मतदान अवश्य करें।
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