साप्ताहिक विशेषांक: “मध्यम वर्ग: कंधों पर अर्थव्यवस्था, फिर भी सबसे भारी बोझ यही उठाए”
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“कलम की धार” –
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आज का लेख
मध्यमवर्गीय परिवार और उनकी समस्याएं
लेखक: प्रदीप मिश्रा
भारत की तस्वीर का सबसे अनकहा पहलू है मध्यम वर्ग की कहानी। यह वह वर्ग है, जो देश की प्रगति का अनसुना नायक है। न तो इसके हिस्से में सत्ता की राहतें आती हैं, न ही सड़कों पर संघर्ष का तमगा। फिर भी, इसकी रीढ़ पर ही खड़ी है पूरी अर्थव्यवस्था। यही वर्ग है जो निःस्वार्थ रूप से कर चुकाता है, देश के उद्योगों को गति देता है, और अगली पीढ़ी के सपनों का आधार बनाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि आज की राजनीति और समाज में मध्यम वर्ग सबसे अधिक दबाव झेल रहा है।
आरक्षण का विचार एक समान समाज की नींव रखने के लिए लाया गया था, लेकिन आज यह समानता के बजाय असमानता और नाराजगी का कारण बन गया है। इसके लाभ अक्सर वहीं लोग उठा रहे हैं, जो पहले से सुविधा-संपन्न हैं। वहीं, मध्यम वर्ग के होनहार युवा सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा की दौड़ में पिछड़ जाते हैं। उनके लिए यह एक ऐसी लड़ाई बन गई है, जिसमें जीत का रास्ता धुंधला है।
इसके अलावा, राजनीति का एक और बड़ा हथियार बन चुका है मुफ्त योजनाओं का वादा। बिजली, पानी, राशन – ये सबकुछ मुफ्त देकर गरीबों को राहत पहुंचाने का दावा किया जाता है, लेकिन इन योजनाओं की असली कीमत मध्यम वर्ग चुकाता है। करदाताओं का पैसा इन योजनाओं में बहा दिया जाता है, जबकि इस वर्ग को न तो इसका लाभ मिलता है और न ही कोई सहानुभूति।
क्षेत्रीय राजनीति और क्षेत्रवाद की दीवारें भी मध्यम वर्ग के लिए नई चुनौतियां खड़ी करती हैं। भारत के विविधतापूर्ण समाज को एकजुट रखने की जगह, ये राजनीतिक ताकतें स्थानीय मुद्दों के नाम पर समाज को बांटती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि मध्यम वर्ग को न केवल रोजगार के अवसरों की तलाश में भटकना पड़ता है, बल्कि अपनी पहचान और अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
इस सबके बीच, मध्यम वर्ग का संघर्ष बढ़ती महंगाई, ऊंचे करों, और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की भारी लागत के साथ जारी है। वह ऐसा वर्ग है, जो न तो आरक्षण का लाभ ले सकता है, न ही मुफ्त योजनाओं का सहारा। लेकिन उसकी मेहनत और ईमानदारी देश के तंत्र को चलाती है।
समस्या के इस दलदल से बाहर निकलने का रास्ता क्या है? आरक्षण का आधार आर्थिक बनाया जाए ताकि वंचितों को सही मायने में लाभ मिल सके। मुफ्त योजनाओं को प्रभावी और जरूरतमंदों तक सीमित किया जाए। मध्यम वर्ग को कर राहत और स्वास्थ्य व शिक्षा में सब्सिडी के माध्यम से राहत दी जाए। सबसे जरूरी यह कि जातिवाद और क्षेत्रवाद की राजनीति का अंत हो, ताकि समाज में भाईचारा और एकता बनी रहे।
मध्यम वर्ग भारत की वह धुरी है, जो हर हाल में देश को संभाले रखता है। यह वह वर्ग है, जो सपने देखता है और उन्हें साकार करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। लेकिन जब तक उसकी समस्याओं को समझा और सुलझाया नहीं जाएगा, तब तक देश की प्रगति अधूरी रहेगी। मध्यम वर्ग का उत्थान ही भारत की स्थिर और समृद्ध अर्थव्यवस्था की कुंजी है।
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