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आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में भ्रष्टाचार और लापरवाही, महिला बाल विकास विभाग पर उठे सवाल

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कोरबा छत्तीसगढ़


By ACGN, 7647981711


कोरबा-करतला। आंगनबाड़ी सहायिका पद की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और लापरवाही के गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिनसे महिला बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस बार देवी बाई राजवाड़े, जो महिला बाल विकास विभाग की सभापति हैं, पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने आंगनबाड़ी सहायिका पद पर चयनित अभ्यर्थियों से नियुक्ति पत्र जारी करने के बदले ₹50,000 की रिश्वत की मांग की। यह शिकायत कोरबा कलेक्टर तक पहुंची है, जिसमें आरोप है कि अगर अभ्यर्थियों ने यह रकम नहीं दी, तो उनके नियुक्ति पत्र पर रोक लगा दी जाएगी।

जनपद पंचायत करतला के क्षेत्र क्रमांक 18 की जनपद सदस्य लक्ष्मीन कंवर ने इस मामले को लेकर कलेक्टर को शिकायत पत्र सौंपा है। उनके आरोप अनुसार, महिला बाल विकास विभाग द्वारा करतला विकासखंड में आंगनबाड़ी सहायिका की भर्ती की जा रही है, जिसमें कु. सीमा (पिता- सेवकराम, ग्राम जर्वे), श्रीमती उत्तम बाई (पति- उचित राम, ग्राम जर्वे) और सोनिया कुमारी (पिता- श्याम लाल, ग्राम अमलडीहा) जैसे चयनित अभ्यर्थियों से ₹50,000 की रिश्वत मांगी जा रही है। यदि यह राशि नहीं दी जाती, तो इन अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र पर रोक लगा दी जाती है।

इन आरोपों के बाद देवी बाई राजवाड़े ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए इसे ‘मनगढ़ंत’ और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और उनके खिलाफ साजिश की जा रही है।

महिला बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस मामले से एक और गंभीर सवाल उठता है कि आंगनबाड़ी सहायिका की भर्ती में इस तरह के आरोप क्यों सामने आ रहे हैं। क्या महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी सही तरीके से निभाई जा रही है, या अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण यह स्थिति पैदा हो रही है?

आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा से जुड़ी प्रक्रिया है। इस पर उठ रहे विवाद न केवल अभ्यर्थियों के लिए निराशाजनक हैं, बल्कि यह विभाग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। यदि विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं जारी रहती हैं, तो इससे आंगनबाड़ी सहायिकाओं को मिलने वाले अवसरों में असमानता उत्पन्न हो सकती है, और यह बच्चों और महिलाओं के लिए प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है।

आरोपों की जांच और कार्रवाई की मांग
महिला बाल विकास विभाग को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आरोपों का अंत हो सके। यह समय है कि विभाग अपनी कार्यशैली को सुधारें, ताकि आंगनबाड़ी सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल हो सके।

इसके अलावा, आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती प्रक्रिया में हो रही अनियमितताएं और लापरवाहियाँ केवल विभाग के कामकाजी माहौल को ही खराब नहीं करतीं, बल्कि यह विभाग की छवि को भी दागदार बनाती हैं। इसके अलावा, कई अन्य जगहों पर भी शिकायतें आ रही हैं, जैसे कि भर्ती के विज्ञापन को सार्वजनिक न करना, कुछ विशेष लोगों को ही नियुक्ति के अवसर प्रदान करना, और गलत जानकारी देने जैसे मामले सामने आ रहे हैं। कई स्थानों पर विधवा महिलाओं को गैर-निवासी बताने और जाति प्रमाण पत्र में फेरबदल की शिकायतें भी आई हैं।

 

क्या विभाग इस पर ध्यान देगा?
महिला बाल विकास विभाग को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इन आरोपों की त्वरित जांच कर प्रभावी कदम उठाने चाहिए, ताकि आम जनता का भरोसा बना रहे और आंगनबाड़ी सहायिकाओं की भर्ती पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से की जा सके। अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह विभाग के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही को और भी उजागर करेगा।

यह समाचार प्राप्त आवेदन आधार पर बनाया गया है 

 

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