स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेज़ी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, कोरबा में जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत: ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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कोरबा छत्तीसगढ़
By Pradeep Mishra 7647981711
स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेज़ी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, कोरबा में जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत: ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उच्च शिक्षा संचालनालय, नवा रायपुर के निर्देशानुसार अक्टूबर महीने में जनजाति गौरव माह मनाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर जनजातीय समाज का गौरवशाली इतिहास, उनकी सामाजिक व्यवस्था एवं उनके आध्यात्मिक दर्शन से परिचित कराना है।
कार्यशाला का आरंभ आदिवासी आंदोलन के मुख्य आंदोलनकारी, रानी दुर्गावती, भगवान बिरसा मुंडा और शहीद वीर नारायण सिंह के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इसके पश्चात कार्यशाला की संयोजक डॉ. डेज़ी कुजूर ने कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए अतिथियों एवं वक्ताओं का परिचय दिया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. साधना खरे की अध्यक्षता में यह कार्यशाला सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। उन्होंने ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जनजाति समाज बंधुत्व की भावना और समानता की भावना पर टिका हुआ है । शांत रहने वाली जनजाति समाज को जब चोट पहुंचाया जाता है तो वह विद्रोह करता है, आंदोलन करता है और जनजाति आंदोलन इसके गवाह है।
दो सत्र में बंटे इस एक दिवसीय कार्यशाला के प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता आर.एस. मार्को, सांस्कृतिक सचिव अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा, भारत ने जनजातीय समाज की उत्पत्ति, उनका भौगोलिक विस्तार, उनका इतिहास, उनकी सामाजिक व्यवस्था पर विस्तार से चर्चा की। श्री मार्को ने कहा की सभ्यता का विकास प्रकृति के विरुद्ध होने के कारण आज मानव जाति संकट में है। इस संकट से यदि उबरना है तो प्रकृति के अनुसार चलना होगा। इसके लिए सभ्य समाज को आदिवासियों के अध्यात्मिक दर्शन को आत्मसात करना होगा। यहां तक कि सामाजिक बुराइयों और अपराधों से छुटकारा पाना है तो आदिवासियों की सामाजिक व्यवस्था को अपनाना होगा।
कार्यशाला में दूसरे वक्ता के तौर पर उपस्थित डॉ. दिनेश श्रीवास सहायक प्राध्यापक, हिंदी, शासकीय ई. वी.पी.जी.महाविद्यालय, कोरबा ने जनजाति समाज : जागरण से विमर्श तक पर अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये। इस विषय पर उन्होंने रणेन्द्र के उपन्यास गायब होता देश और ग्लोबल गांव के देवता, संजीव बख्शी की भूलन कांदा और अपने स्वयं के उपन्यास माली के माध्यम से हिंदी साहित्य में आदिवासी विमर्श पर चर्चा की।
वक्ता रघुनाथ सिंह उइके, अध्यक्ष, वनवासी कल्याण आश्रम, कोरबा ने कुछ महत्वपूर्ण आदिवासी आंदोलनों पर चर्चा करते हुए उसके कारणो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदिवासियों के मुद्दे हमेशा से जल, जंगल और ज़मीन रहे हैं। कोई भी इसमें दखल दे तो उन्हें आंदोलन का सामना करना पड़ता है।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. वेदवती मंडावी, अध्यक्ष, प्रगति गोंडवाना महिला समाज, छ. ग.ने जनजाति शब्द के स्थान पर आदिवासी शब्द का उपयोग करने की बात कही । उन्होंने कहा कि आदिवासी शब्द में ही इसका अर्थ समाहित है। आदिवासी यहां आदिकाल से निवास कर रहा है। इनका अपना इतिहास है, अपनी सामाजिक व्यवस्था है, अपनी न्याय व्यवस्था है। इनका अपना अध्यात्म है, अपना दर्शन है, अपने संस्कार हैं जो की अन्य किसी भी धर्म और समाज से बिल्कुल अलग हैं। उनके ऐतिहासिक सामाजिक तथा आध्यात्मिक योगदान भारतीय समाज के लिए नींव का पत्थर है। आज भारतीय समाज इसी नींव पर खड़ा है। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित डॉ. एस.के. रात्रे, प्राचार्य विद्युत गृह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पूर्व, कोरबा कार्यशाला के सफल आयोजन पर महाविद्यालय परिवार को बधाई देते हुए कहा कि यहां उपस्थित सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों के साथ-साथ हम सभी के लिए उपयोगी साबित हुई इसके माध्यम से जनजातीय समाज को समझने का सुंदर अवसर मिला।
महाविद्यालय में जनजातीय गौरव माह के अंतर्गत अतिथि व्याख्याता रुक्मणी रमानी और मधु यादव ने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए इस विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता एवं रंगोली प्रतियोगिता कराई गई, जिनको प्रदर्शनी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। साथ ही सभी विजेताओं और उपविजेताओं को कार्यशाला के समापन पर पुरस्कृत किया गया।
पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर दाक्षी डहरिया, दूसरे स्थान पर मसरत जहान, और तीसरे स्थान पर सुनिधि सिंह रही। वहीं रंगोली प्रतियोगिता में दाक्षी डहरिया और तान्या सिंह, दूसरे स्थान पर भूमिका निर्मलकर और मानसी साहू रही। वहीं यशस्वी और नवीन का ग्रुप तीसरे स्थान पर रहा।
इस अवसर पर अतिथि व्याख्याता अंजलि साव एवं क्रीड़ा अधिकारी मनोज कुमार यादव के निर्देशन में महाविद्यालय के विद्यार्थि विज्ञा, तारा, यशस्वी, भूमिका, मानसी, सुनिधि सिंह, सायिमा परवीन, नवीन,रजत, हर्षित, आयुष,समीर, वंश और जय के दल ने आदिवासी नृत्य की मोहक एवं आकर्षक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक दिव्या पटेल एवं अतिथि व्याख्याता सिमरन अग्रवाल और मधु यादव ने किया। आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक पूजा सिंह के द्वारा किया गया।
कार्यशाला को सफल बनाने में महाविद्यालय के ग्रंथपाल राजेश साहू, अतिथि व्याख्याता नुपिता सेन यादव, एस.के. निर्मलकर, आर.पी. कौशिक कमला देवी मानिकपुरी और किशन की सक्रिय भागीदारी रही। वर्तमान में हिंदी साहित्य शोध केंद्र जो की शासकीय ई.वी.पी.जी. कॉलेज में संचालित है के शोधार्थि टिकेश्वर साहू, गिरीश दास और माया देवी राठौर इस कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में उपस्थित हुए।
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