आदिवासी महिलाओं का आरोप: प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार और भेदभाव
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कोरबा छत्तीसगढ़
By Pradeep Mishra 7647981711
कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और भेदभाव का मामला सामने आया है। स्थानीय आदिवासी महिलाओं ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
*मुख्य बिन्दु*
1. आदिवासी महिला चमरीन बाई और अन्य ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।
2. रोजगार सहायक प्रकाश चौहान पर रिश्वत मांगने का आरोप, वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत।
3. कलेक्टर के आदेश पर जनपद पंचायत कोरबा द्वारा जांच शुरू।
4. ग्रामीणों का आरोप – जांच में भेदभाव, केवल पूरे हुए मकान दिखाए गए।
5. अधिकारियों पर दोषियों को बचाने का आरोप।
*विस्तृत रिपोर्ट*
कोरबा जिले के ग्राम पंचायत श्यांग की आदिवासी महिला चमरीन बाई और अन्य महिलाओं और पंचगणों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि गांव के रोजगार सहायक, प्रकाश चौहान, ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए उनसे अवैध रूप से पैसे की मांग की।
(शिकायतकर्ता चमरीन बाई का मकान)
महिलाओं ने अपने आरोप के समर्थन में एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें कथित तौर पर रोजगार सहायक को पैसे मांगते हुए देखा जा सकता है। इस गंभीर मामले को स्थानीय मीडिया ने प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद कलेक्टर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जनपद पंचायत कोरबा को जांच के आदेश दिए।
(रोजगार सहायक प्रकाश चौहान)
(सीईओ ने किया ग्राम पंचायत शयांग के पीएम आवास का निरीक्षण)
जांच के क्रम में, कोरबा जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) इंदिरा भगत ने गांव का दौरा किया। उन्होंने ग्रामवासियों, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक के साथ बैठक की और अधूरे प्रधानमंत्री आवासों का निरीक्षण किया। इस दौरान कई मकान अधूरे पाए गए, जिनमें शिकायतकर्ता चामरीन बाई का घर भी शामिल था।
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि सीईओ द्वारा किया गया निरीक्षण पूर्ण और निष्पक्ष नहीं था। उनका आरोप है कि रोजगार सहायक ने जानबूझकर केवल वे मकान दिखाए, जो पूरे हो चुके थे। आदिवासी ग्रामीणों ने इस जांच प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया है और कहा है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।
(पीड़ितों और इन अधूरे घरों तक नहीं पहुंच सकी सीईओ )
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि जनपद के अधिकारी रोजगार सहायक, सरपंच और सचिव को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वीडियो साक्ष्य स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार को दर्शाता है। उनका कहना है कि पंचायत के अधिकारी केवल औपचारिकता निभा रहे हैं और वास्तविक न्याय से उन्हें वंचित रखा जा रहा है।
क्या कहा मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने
कोरबा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इंदिरा भगत ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच जारी है और पर्याप्त सबूत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और दोषियों को कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।
यह मामला स्पष्ट रूप से आदिवासी समुदाय के साथ हो रहे कथित भेदभाव और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार के आरोप चिंताजनक हैं और इनकी गहन जांच की आवश्यकता है।
1. पारदर्शिता की आवश्यकता: सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
2. आदिवासी अधिकारों का संरक्षण: आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें समान अवसर प्रदान करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
3. भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई: भ्रष्टाचार के प्रमाणित मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि अन्य अधिकारियों को सबक मिले।
4. निगरानी तंत्र का सुदृढ़ीकरण: योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए मजबूत तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
5. शिकायत निवारण: ग्रामीणों की शिकायतों के त्वरित और निष्पक्ष निवारण की व्यवस्था होनी चाहिए।
*यह मामला दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए केवल नीतियां बनाना पर्याप्त नहीं है। उनके प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन के लिए सतत निगरानी, जवाबदेही और पारदर्शिता आवश्यक है। आदिवासी समुदायों के साथ-साथ सभी वंचित वर्गों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।*
// पीपुल्स मीडिया //
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