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26 नवंबर 2023 मन की बात की 107 वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन

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मन की बात की 107वीं कड़ी                                                                              

 

‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 26 नवंबर हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने, मुंबई को, पूरे देश को, थर्रा कर रख दिया था। लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं। मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देते हुए कहा उन्होंने कहा की इस हमले में हमारे जो जांबांज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है।

उन्होंने कहा 26 नवंबर का आज का दिन एक और वजह से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। मुझे याद है, जब साल 2015 में हम बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्मजयन्ती मना रहे थे, उसी समय ये विचार आया था कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए।और तब से हर साल आज के इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। मैं सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। और हम सब मिलकर, नागरिकों के कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए, विकसित भारत के संकल्प को जरुर पूरा करेंगे।

संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। श्री सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे।60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का Draftतैयार हुआ था।Draftतैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे।1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है। समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए। लेकिन ये भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन,Freedom of Speechऔर Freedom of Expression के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था। वहीँ संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, Emergency के दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था।

उन्होंने कहा की संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थी। ऐसी ही एक सदस्य हंसा मेहता जी ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी। उस दौर में भारत उन कुछ देशों में था जहां महिलाओं को संविधान से Voting का अधिकार दिया। राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है, तभी सबका विकास भी हो पाता है। मुझे संतोष है कि संविधान निर्माताओं के उसी दूरदृष्टि का पालन करते हुए, अब भारत की संसद ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया है।‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हमारे लोकतंत्र की संकल्प शक्ति का उदाहरण है।ये विकसित भारत के हमारे संकल्प को गति देने के लिए भी उतना ही सहायक होगा।

राष्ट्र निर्माण की कमान जब जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उस देश को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती। आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहा है कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमने त्योहारों के इस समय में देखा है। पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने Vocal For Local यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था। बीते कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है। और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया। अब तो घर के बच्चे भी दुकान पर कुछ खरीदते समय यह देखने लगे हैं कि उसमें Made In India लिखा है या नहीं लिखा है।इतना ही नहीं Online सामान खरीदते समय अब लोग Country of Origin इसे भी देखना नहीं भूलते हैं।

उन्होंने कहा की जैसे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की सफलता ही उसकी प्रेरणा बन रही है वैसे ही Vocal For Local की सफलता, विकसित भारत – समृद्ध भारत के द्वार खोल रही है।Vocal For Local का ये अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।Vocal For Local अभियान रोजगार की गारंटी है। यह विकास की गारंटी है,ये देश के संतुलित विकास की गारंटी है। इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों को समान अवसर मिलते हैं। इससे स्थानीय उत्पादों में  Value Edition का भी मार्ग बनता है, और अगर कभी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आता है, तो Vocal For Local का मंत्र, हमारी अर्थव्यवस्था को संरक्षित भी करता है।  भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है। कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस season में करीब 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है।शादियों से जुड़ी खरीदारी में भी आप सभी भारत में बने उत्पादों को ही महत्व दें। और हाँ, जब शादी की बात निकली है, तो एक बात मुझे लम्बे अरसे से कभी-कभी बहुत पीड़ा देती है और मेरे मन की पीड़ा, मैं, मेरे परिवारजनों को नहीं कहूँगा तो किसको कहूँगा ?आप सोचिये, इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का जो एक नया ही वातावरण बनता जा रहा है। क्या, ये जरूरी है क्या ? भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच, अगर हम शादी ब्याह मनाएं, तो देश का पैसा, देश में रहेगा। देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ-न-कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा, छोटे -छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएँगे। क्या आप vocal for localके इस mission को विस्तार दे सकते हैं ? क्यों न हम शादी ब्याह ऐसे समारोह अपने ही देश में करें ? हो सकता है, आपको चाहिए वैसी व्यवस्था आज नहीं होगी लेकिन अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो व्यवस्थाएं भी विकसित होंगी। ये बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है। मैं आशा करता हूँ मेरी ये पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुँचेगी।

मेरे परिवारजनो, त्योहारों के इस मौसम में एक और बड़ाtrend देखने को मिला है।ये लगातार दूसरा साल है जब दीपावली के अवसर में cash देकर कुछ सामान खरीदने का प्रचलन धीरे-धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। यानी, अब लोग ज्यादा से ज्यादा DigitalPayment कर रहे हैं।ये भी बहुत उत्साह बढ़ाने वाला है। आप एक और काम कर सकते हैं। आप तय करिए किएक महीने तक आप UPI से या किसी Digital माध्यम से ही Payment करेंगे,CashPaymentनहीं करेंगे। भारत में Digital क्रांति की सफलता ने इसे बिल्कुल संभव बना दिया है। और जब एक महीना हो जाए, तो आप मुझे अपने अनुभव, अपनी फोटो जरूर Shareकरियेगा।मैं अभी से आपको advance में अपनी शुभकामनाएं देता हूँ।

मेरे परिवारजनों, हमारे युवा साथियों ने देश को एक और बड़ी खुशखबरी दी है, जो हम सभी को गौरव से भर देने वाली है।Intelligence,Idea और Innovation- आज भारतीय युवाओं की पहचान है। इसमें Technology के Combinationसे उनकी Intellectual Properties में निरंतर बढ़ोतरी हो,ये अपने आप में देश के सामर्थ्य को बढ़ाने वाली महत्वपूर्ण प्रगति है। आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 2022 में भारतीयों के Patent आवेदन में 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।World Intellectual PropertyOrganisationने एक बड़ी ही दिलचस्प Report जारी की है।ये Reportबताती है कि Patent Fileकरने में सबसे आगे रहने वाले Top-10देशों में भी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।इस शानदार उपलब्धि के लिए मैं अपने युवा साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं अपने युवा-मित्रों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि देश हर कदम पर आपके साथ है। सरकार ने जो प्रशासनिक और कानूनी सुधार किये हैं, उसके बाद आज हमारे युवा एक नई ऊर्जा के साथ बड़े पैमाने पर Innovation के काम में जुटे हैं।10 वर्ष पहले के आंकड़ों से तुलना करें, तो आज, हमारे patent को 10 गुना ज्यादा मंजूरी मिल रही है। हम सभी जानते हैं कि patent से ना सिर्फ देश की Intellectual Property बढ़ती है, बल्कि इससे नए-नए अवसरों के भी द्वार खुलते हैं। इतना ही नहीं, ये हमारे start-ups की ताकत और क्षमता को भी बढ़ाते हैं। आज हमारे स्कूली बच्चों में भी Innovation की भावना को बढ़ावा मिल रहा है। Atal tinkering lab, Atal innovation mission, कॉलेजों में Incubation Centers, start-up India अभियान,ऐसे निरंतर प्रयासों के नतीजे देशवासियों के सामने हैं। ये भी भारत की युवाशक्ति, भारत की innovative power का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसी जोश के साथ आगे चलते हुए ही, हम, विकसित भारत के संकल्प को भी प्राप्त करके दिखाएँगे और इसीलिए मैं बार बार कहता हूँ ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसन्धान’।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको याद होगा कि कुछ समय पहले ‘मन की बात’ में मैनें भारत में बड़ी संख्या में लगने वाले मेलों की चर्चा की थी। तब एक ऐसी प्रतियोगिता का भी विचार आया था जिसमें लोग मेलों से जुड़ी फोटो साझा करें। संस्कृति मंत्रालय ने इसी को लेकर Mela Moments Contest का आयोजन किया था। आपको ये जानकार अच्छा लगेगा कि इसमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया और बहुत लोगों ने पुरस्कार भी जीते।कोलकाता के रहने वाले राजेश धर जी ने “चरक मेला” में गुब्बारे और खिलौने बेचने वाले की अद्भुत फोटो के लिए पुरस्कार जीता। ये मेला ग्रामीण बंगाल में काफी लोकप्रिय है। वाराणसी की होली को showcase करने के लिए अनुपम सिंह जी को Mela portraits का पुरस्कार मिला। अरुण कुमार नलिमेला जी, ‘कुलसाई दशहरा’ से जुड़ा एक आकर्षक पहलू को दिखाने के लिए पुरस्कृत किये गए। वैसे ही,पंढरपुर की भक्ति को दिखाने वाली Photo,सबसे ज्यादा पसंद की गई Photo में शामिल रही, जिसे महाराष्ट्र के ही एक सज्जन श्रीमान् राहुल जी ने भेजा था। इस प्रतियोगिता में बहुत सारी तस्वीरें, मेलों के दौरान मिलने वाले स्थानीय व्यंजनों की भी थी। इसमें पुरलिया के रहने वाले आलोक अविनाश जी की तस्वीर ने पुरस्कार जीता। उन्होंने एक मेले के दौरान बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र के खानपान को दिखाया था। प्रनब बसाक जी की वो तस्वीर भी पुरस्कृत हुई, जिसमें भगोरिया महोत्सव के दौरान महिलाएँ कुल्फी का आनंद ले रही हैं। रूमेला जी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक गाँव के मेले में भजिया का स्वाद लेती महिलाओं की photo भेजी थी -इसे भी पुरस्कृत किया गया।

साथियो, ‘मन की बात’ के माध्यम से आज हर गाँव, हर स्कूल, हर पंचायत को, ये आग्रह है कि निरंतर इस तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। आज कल तो social media की इतनी ताकत है, Technology और Mobile घर-घर पहुंचे हुए हैं। आपके लोकल पर्व हों या product, उन्हें आप ऐसा करके भी global बना सकते हैं।

साथियो, गाँव-गाँव में लगने वाले मेलों की तरह ही हमारे यहां विभिन्न नृत्यों की भी अपनी ही विरासत है। झारखण्ड, ओडिशा और बंगाल के जन-जातीय इलाकों में एक बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जिसे ‘छऊ’ के नाम से बुलाते हैं।15 से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया। श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य की training देने के लिए एक workshop का भी आयोजन हुआ। इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया। ये जगह जम्मू से150 किलोमीटर दूर है। इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ।

साथियो, भारतीय संस्कृति की सुंदरता को सऊदी अरब में भी महसूस किया गया। इसी महीने सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ। यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था। संवाद, संगीत, नृत्य सब कुछ संस्कृत में, इसमें, वहाँ के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गयी।

मेरे परिवारजनो, ‘स्वच्छ भारत’ अब तो पूरे देश का प्रिय विषय बन गया है मेरा तो प्रिय विषय है ही है और जैसे ही मुझे इससे जुडी कोई खबर मिलती है, मेरा मन उस तरफ चला ही जाता है, और स्वाभाविक है, फिर तो उसको ‘मन की बात’ में जगह मिल ही जाती है।स्वच्छ भारत अभियान ने साफ-सफाई और सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर लोगों की सोच बदल दी है। ये पहल आज राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुकी है, जिसने करोड़ों देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाया है। इस अभियान ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों, विशेषकर युवाओं को सामूहिक भागीदारी के लिए भी प्रेरित किया है। ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास सूरत में देखने को मिला है। युवाओं की एक टीम ने यहाँ ‘Project Surat’इसकी शुरुआत की है। इसका लक्ष्य सूरत को एक ऐसा model शहर बनाना है, जो सफाई और sustainable development की बेहतरीन मिसाल बने।‘Safai Sunday’ के नाम से शुरू हुए इस प्रयास के तहत सूरत के युवा पहले सार्वजानिक जगहों औरDumas Beach की सफाई करते थे। बाद में ये लोग तापी नदी के किनारों की सफाई में भी जी-जान से जुट गए और आपको जान करके खुशी होगी,देखते-ही-देखते इससे जुड़े लोगों की संख्या,50 हजार से ज्यादा हो गई है।लोगों से मिले समर्थन से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने कचरा इकट्ठा करने का काम भी शुरू किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस टीम ने लाखों किलो कचरा हटाया है। जमीनी स्तर पर किए गए ऐसे प्रयास, बहुत बड़े बदलाव लाने वाले होते हैं।

साथियो, गुजरात से ही एक और जानकारी आई है। कुछ सप्ताह पहले वहां अंबाजी में ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन किया गया था इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग आए।ये मेला प्रतिवर्ष होता है। इसकी सबसे ख़ास बात ये रही कि मेले में आये लोगों ने गब्बर हिल के एक बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाया। मंदिरों के आसपास के पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का ये अभियान बहुत प्रेरणादायी है।

साथियो, मैं हमेशा कहता हूँ कि स्वच्छता कोई एक दिन या एक सप्ताह का अभियान नहीं है बल्कि ये तो जीवन में उतारने वाला काम है।हम अपने आसपास ऐसे लोग देखते भी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन,स्वच्छता से जुड़े विषयों पर ही लगा दिया।तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन जी भी बेमिसाल हैं। बचपन में गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर वे अक्सर परेशान हो जाते थे। इसके बाद उन्होंने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा इन्हें दान देना शुरू कर दिया। जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन जी ने Toilets तक साफ़ किये ताकि जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके। वे पिछले 25 सालों से पूरी तरह समर्पित भाव से अपने इस काम में जुटे हैं और अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद कर चुके हैं। मैं एक बार फिर ऐसे प्रयासों की सराहना करता हूँ। देशभर में हो रहे इस तरह के अनेकों प्रयास ना सिर्फ हमें प्रेरणा देते हैं बल्कि कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति भी जगाते हैं।

मेरे परिवारजनों, 21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है –‘जल सुरक्षा’।जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं। जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है। इसका एक उदाहरण देश के हर जिले में बन रहे ‘अमृत सरोवर’ भी है।‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे। अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्त्रोत बने रहें।

साथियो, जल संरक्षण की ऐसी ही चर्चाओं के बीच मुझे गुजरात के अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ का भी पता चला। गुजरात में बारहमास बहने वाली नदियों का भी अभाव है, इसलिए लोगों को ज्यादातर बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। पिछले 20-25 साल में सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद वहां की स्थिति में बदलाव जरूर आया है। और इसलिए वहां ‘जल उत्सव’ की बड़ी भूमिका है। अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ के दौरान ‘जल सरंक्षण’ और झीलों के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई गयी। इसमें Water Sportsको भी बढ़ावा दिया गया, Water Security के जानकारों के साथ मंथन भी किया गया। कार्यक्रम में शामिल लोगों को तिरंगे वाला Water fountain बहुत पसंद आया। इस जल उत्सव का आयोजन सूरत के Diamond Business में नाम कमाने वाले सावजी भाई ढोलकिया के foundation ने किया। मैं इस शामिल प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूँ, जल संरक्षण के लिए ऐसे ही काम करने की शुभकामनाएँ देता हूँ।

मेरे परिवारजनों, आज दुनिया भर में skill development के महत्व को स्वीकार्यता मिल रही है। जब हम किसी को कोई Skill सिखाते हैं, तो उसे सिर्फ हुनर ही नहीं देते बल्कि उसे आय का एक जरिया भी देते हैं। और जब मुझे पता चला एक संस्था पिछले चार दशक से Skill Development के काम में जुटी है, तो मुझे और भी अच्छा लगा। ये संस्था, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरमYouth club’है।Skill development पर focus कर ‘बेल्जिपुरमYouth club’ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है। इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं। इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है।‘बेल्जिपुरमYouth club’की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानि FPOs से जुड़े किसानों को भी नई Skill सिखाई जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं। स्वच्छता को लेकर भी ये Youth club गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है। इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है। मैं Skill development के लिए इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँउनकी सराहना करता हूँ। आज, देश के गाँव-गाँव में Skill development के लिए ऐसे ही सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

साथियो, जब किसी एक लक्ष्य के लिए सामूहिक प्रयास होता है तो सफलता की ऊंचाई भी और ज्यादा हो जाती है। मैं आप सभी से लद्दाख का एक प्रेरक उदाहरण साझा करना चाहता हूँ। आपने पश्मीना शाल के बारे में तो जरुर सुना होगा। पिछले कुछ समय से लद्दाखी पश्मीना की भी बहुत चर्चा हो रही है। लद्दाखी पश्मीना Looms of Laddakh के नाम से दुनियाभर के बाजारों में पहुँच रहा है। आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि इसे तैयार करने में 15 गाँवों की 450 से अधिक महिलाएं शामिल हैं। पहले वे अपने उत्पाद वहां आने वाले पर्यटकों को ही बेचती थीं। लेकिन अब Digital भारत के इस दौर में उनकी बनाई चीजें, देश-दुनिया के अलग-अलग बाजारों में पहुँचने लगी हैं। यानि हमारा local अब global हो रहा है और इससे इन महिलाओं की कमाई भी बढ़ी है।

साथियो,नारी-शक्ति की ऐसी सफलताएं देश के कोने-कोने में मौजूद हैं।जरुरत ऐसी बातों को ज्यादा से ज्यादा सामने लाने की है।और ये बताने के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर और क्या होगा ?तो आप भी ऐसे उदाहरणों को मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा shareकरें।मैं भी पूरा प्रयास करूंगा कि उन्हें आपके बीच ला सकूँ।

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ में हम ऐसे सामूहिक प्रयासों की चर्चा करते रहे हैं, जिनसे समाज में बड़े-बड़े बदलाव आए हैं। ‘मन की बात’ की एक और उपलब्धि ये भी है किइसने घर-घर में रेडियो को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। MyGOV पर मुझे उत्तर प्रदेश में अमरोहा के राम सिंह बौद्ध जी का एक पत्र मिला है।राम सिंह जी पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह करने के काम में जुटे हैं।उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है।ऐसे ही ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अहमदाबाद के पास तीर्थधाम प्रेरणा तीर्थ ने एक दिलचस्प प्रदर्शनी लगाई है।इसमें देश-विदेश के 100 से ज्यादा Antiqueradioरखे गए हैं। यहाँ ‘मन की बात’ के अब तक के सारे Episodes को सुना जा सकता है।कई और उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि कैसे लोगों ने ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अपना खुद का काम शुरू किया।ऐसा ही एक उदाहरण कर्नाटक के चामराजनगर की वर्षा जी का है, जिन्हें ‘मन की बात’ ने अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।इस कार्यक्रम के एक Episode से प्रेरित होकर उन्होंने केले से जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया।प्रकृति से बहुत लगाव रखने वाली वर्षा जी की ये पहल, दूसरेलोगों के लिए भी रोज़गार के मौके लेकर आई है।

मेरे परिवारजनों,कल 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है।इसी दिन ‘देव दीपावली’ भी मनाई जाती है।और मेरा तो मन रहता है कि मैं काशी की ‘देव दीपावली’ जरुर देखूं।इस बार मैं काशी तो नहीं जा पा रहा हूँ लेकिन ‘मन की बात’ के माध्यम से बनारस के लोगों को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेज रहा हूँ।इस बार भी काशी के घाटों पर लाखों दिये जलाये जाएंगे, भव्य आरती होगी, Laser Show होगा, लाखों की संख्या में देश-विदेश से आए लोग ‘देव दीपावली’ का आनंद लेंगे।

साथियो,कल,पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देव जी का भी प्रकाश पर्व है।गुरु नानक जी के अनमोल संदेश भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए आज भी प्रेरक और प्रासंगिक हैं। ये हमें सादगी, सद्भाव और दूसरों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करते हैं।गुरु नानक देव जी ने सेवा भावना, सेवा कार्यों की जो सीख दी, उसका पालन, हमारे सिख भाई-बहन, पूरे विश्व में करते नज़र आते हैं| मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ।

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ में इस बार मेरे साथ इतना ही। देखते ही देखते 2023 समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है। और हर बार की तरह हम-आप ये भी सोच रहे हैं कि अरे…इतनी जल्दी ये साल बीत गया।लेकिन ये भी सच है किये साल भारत के लिए असीम उपलब्धियों वाला साल रहा है, और भारत की उपलब्धियां, हर भारतीय की उपलब्धि है।मुझे ख़ुशी है कि ‘मन की बात’, भारतीयों की ऐसे उपलब्धियों को सामने लाने का एक सशक्त माध्यम बना है।अगली बार देशवासियों की ढ़ेर सारी सफलताओं पर फिर आपसे बात होगी।तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए।

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