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संविधान के पहले पेज पर राम, 22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: मोहन भागवत

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नई दिल्ली

आरआरएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि पद्मश्री शंकर महादेवन के साथ संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार को नमन किया।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ आज विजयादशमी के दिन अपना 95वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस मौके पर संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम धर्म की मर्यादा हैं। हमें उनके चरित्र का अनुसरण करना चाहिए ताकि देश को कट्टरता से बचाया जा सके। उन्होंने कहा, कट्टरता से धार्मिक उन्माद पैदा होता है।

मोहन भागवत ने कहा, प्रतिवर्ष भारतवासियों का गौरव बढ़ रहा है। जी20 समिट में भारतीयों के आतिथ्य को पूरी दुनिया ने अनुभव किया। उन्होंने भारत की उड़ान को देखा। हमारे मन की सद्भावना को देखा। हमारी राजनीतिक कुशलता देखी। पहली बार वसुधैव कुटुंबकम की बात की गई। करुणा के वैश्विकरण की बात की गई। हमारे खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में 107 पदक जीते। हमारा देश सब क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

हमारे संविधान के प्रथम पृष्ठ पर जिनका ( राम ) फोटो है, उनका भव्य मंदिर अयोध्या में बन रहा है, 22 जनवरी को उसका लोकार्पण होगा। हम सभी तो नही जा पाएंगे, लेकिन हमारे आसपास के मंदिरों में हम जा सकते है, देश में धार्मिकता का वातावरण बने ऐसा प्रयत्न हम कर सकते है। भारत का अमृतकाल हमे देखने को मिल रहा है। विश्व 2000 साल से सुख की खोज में अनेक प्रयोग कर के थक गया। ऐसी कई चीजें हैं जिनका उसे हल नहीं मिला। सृष्टि विविध बनी है, वो विविध ही रहेगी, स्वार्थ रहता है, कट्टरपंथ भी रहेगा ही।

सर संघ प्रमुख ने स्वंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मणिपुर शांत था, अचानक आपसी फूट की आग कैसे लग गई? मणिपुर हिंसा के पीछे सीमा पार के आतंकवादी थे? मैतेई और कुकी समाज को किसने एक दूसरे के सामने खड़ा किया। सीमावर्ती क्षेत्र है, वहां झगड़े हो, इसका किसको फायदा है, मणिपुर में झगड़ा निर्माण करने वाले बाहरी ताकत है क्या?

उन्होंने कहा, मणिपुर हिंसा के बाद गृह मंत्री और अन्य मंत्री वहां जाकर बैठे, शांति की प्रक्रिया चलाने की कोशिश की। ये हिंसा भड़काने वाले कौन थे? देखने पर पता चलता है, यह हुआ नही, करवाया गया है. स्वयं को उकसाने वाली परिस्थिति पर काम करने वाले संघ के कार्यकरताओं को मैं सलाम करता हूं।

हमें एकता की ओर बढ़ना पड़ेगा। मणिपुर में संघ के स्वंयसेवक काम कर रहे है, हमे उन पर गर्व है. वहां विश्वास टूट गया है, पुनः विश्वास निर्माण करने के लिए लंबे समय तक काम करना पड़ेगा। हमारी संस्कृति हमें जोड़ती है। जनपद से देश, देश से राष्ट्र, और राष्ट्र से विश्व। ये हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाती है।

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