संसद सदस्य ऐतिहासिक संसद भवन को विदाई देने के लिए सेंट्रल हॉल में एकत्र हुए, उपराष्ट्रपति ने सदस्यों से टकरावपूर्ण रुख को अलविदा कहने और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया
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By pradeep mishra 7647981711
नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति ने नए भवन में परिवर्तन को ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ से ‘ट्रिस्ट विद मॉडर्निटी’ तक की यात्रा बताया
संसद का नया भवन आत्मनिर्भर भारत के उदय का प्रमाण – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने सदस्यों से टकरावपूर्ण रुख को अलविदा कहने और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने संसद के नए सदनों को हमारे लोकतंत्र के मंदिर का पवित्र गर्भगृह बनाने का आग्रह किया
दिल्ली:- भारत की संसद की समृद्ध विरासत के अनुरूप आज सेंट्रल हॉल में एक समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान संसद सदस्य नई इमारत में प्रवेश से पूर्व इस ऐतिहासिक भवन को विदाई देने के लिए एक साथ यहां आए थे।
सेंट्रल हॉल में सांसदों को अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने इस परिवर्तन को ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ से ‘ट्रिस्ट विद मॉडर्निटी’ तक की यात्रा बताया और सभी सदस्यों से भारत @2047 की ऐतिहासिक यात्रा में शामिल होने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद भवन के पवित्र परिसर ने अपनी सात दशक लंबी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पडा़व देखे हैं जो एक अरब से अधिक लोगों के दिलों की आकांक्षाओं के साथ गुंजाएमान रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संसद की नई इमारत न केवल एक “वास्तुशिल्प चमत्कार” है, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत के आर्विभाव का प्रमाण” भी है, श्री धनखड़ ने कहा कि यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिबिंब है बल्कि यह “राष्ट्रीय गौरव, एकता और विविधता” का एक सुनहरा प्रतीक भी है।
संविधान सभा के कामकाज के दौरान देखी गई मर्यादा और स्वस्थ बहस को याद करते हुए श्री धनखड़ ने कहा “हमारे संस्थापकों के अनुकरणीय आचरण का अनुसरण करने” की आवश्यकता पर बल दिया।
संसदीय कार्रवाई में बाधा पहुंचाने और व्यवधान को लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताते हुए राज्यसभा सभापति ने नए संसद भवन में सहयोग और आम सहमति की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी से “राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने” का संकल्प लेने का आग्रह करते हुए संसद के नए सदनों को हमारे लोकतंत्र के मंदिर का गर्भगृह बनाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि संसद की नई इमारत भारत मंडपम और यशोभूमि बुनियादी ढांचे की उत्कृष्ट इमारते हैं जो विश्व की सर्वश्रेष्ठ इमारतों से प्रतिस्पर्धा कर रही है। ये प्रतिष्ठित स्थल भारत के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत वैश्विक विमर्श को परिभाषित कर रहा है। आज भारत जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास के लिए “एजेंडा-निर्धारक” के रूप में उभर रहा है। श्री धनखड़ ने भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कुशल जन-केंद्रित दृष्टि, उत्साह, अटूट समर्पण और अनुकरणीय निष्पादन के लिए नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों और नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार नौकरशाही के योगदान की भी प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद उपस्थित थे।
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